लेखनी प्रतियोगिता -23-Dec-2023 "तेरी चाह के बास्ते"

1 Part

310 times read

25 Liked

    तेरी चाह के बास्ते खुल गये थे द्वार सारे आहट तेरी पा करके।  कदम कैसे रोकती तुझसे मिलने के बास्ते।।  ठहर गयी ज़िंदगी एक तुझसे मिलने की आस में।  ...

×